
प्यारे विद्यार्थियो,
रोज की भाँति बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कक्षा 12 हिंदी का प्रश्नपत्र।
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Sample paper 2025 hindi class 12th




खण्ड – \’अ\’
1. गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर:
(क) हिन्दू और मुसलमान दोनों ही जातियों के कुछ लोग कबीर के विरोधी इसलिए हो गए थे क्योंकि उन्होंने समानता की दृष्टि रखकर बाह्याडम्बरों और रूढ़ियों का खण्डन किया था।
(ख) सिकन्दर लोदी ने कबीर को इसलिए बुलवाया था क्योंकि मुल्लाओं और पण्डितों ने उनकी शिकायत की थी।
(ग) कबीर ने देर से आने का कारण यह बताया कि उन्होंने एक अद्भुत आश्चर्य देखा था, जिसमें सुई के छेद से हाथी, घोड़े, ऊँट, और पर्वत निकलते जा रहे थे।
(घ) कबीर जन्मजात प्रतिभाशाली व्यक्ति थे।
(ड) हिन्दू-मुस्लिम दोनों ने समानता की दृष्टि से बाह्याडम्बरों और रूढ़ियों का खण्डन किया।
(च) सिकन्दर लोदी कबीर की बातों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।
(छ) उपयुक्त शीर्षक: \”कबीर की निर्भीकता और बुद्धिमत्ता\”
2. निबंध (200 शब्दों में)
(ग) जीवन में परिश्रम का महत्व
मनुष्य के जीवन में परिश्रम का अत्यधिक महत्व है। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, बल्कि यह निरंतर प्रयासों और कठिन परिश्रम से प्राप्त होती है। परिश्रम ही व्यक्ति को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाता है।
यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि सभी महान व्यक्तियों ने कठिन परिश्रम करके ही सफलता प्राप्त की है। चाहे महात्मा गांधी हों, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हों या स्वामी विवेकानंद, सभी ने अपने जीवन में मेहनत को प्राथमिकता दी। परिश्रम से ही प्रतिभा का विकास होता है और असंभव कार्य भी संभव बन जाते हैं।
परिश्रम का महत्व प्रकृति में भी दिखाई देता है। चींटियाँ अपने भोजन की व्यवस्था के लिए निरंतर मेहनत करती हैं, मधुमक्खियाँ शहद बनाने के लिए कठिन परिश्रम करती हैं। किसान अपनी फसल उगाने के लिए अथक परिश्रम करता है।
जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है। आलसी व्यक्ति सदैव दूसरों पर निर्भर रहता है और असफलता का सामना करता है। अतः हमें परिश्रम को अपना धर्म समझना चाहिए और निरंतर कार्य करते रहना चाहिए, क्योंकि \”परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।\”
3. सही उत्तर-विकल्प:
(क) हिन्दी का दैनिक समाचार पत्र नहीं है – (ii) इण्डिया टुडे
(ख) विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है – (ii) 10 जनवरी
(ग) किसी संस्था, सभा, दल, विभाग, सरकारी, गैर-सरकारी, सामान्य अथवा विशेष आयोजन की तथ्यात्मक जानकारी (ii) प्रतिवेदन में प्रस्तुत की जाती है।
(घ) पत्र-पत्रिकाएं (i) प्रिण्ट माध्यम का संचार माध्यम हैं।
(ड) एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक लेखन जिसमें सूचना, मनोरंजन और शिक्षा को महत्त्व दिया जाता है, उसे (iii) फीचर कहा जाता है।
4. आलेख: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
भारत में बेटियों को सदियों से कई सामाजिक बंधनों और भेदभाव का सामना करना पड़ा है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने \’बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ\’ अभियान की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा को बढ़ावा देना है।
बेटियों को जन्म से ही समान अधिकार मिलने चाहिए, क्योंकि वे समाज की रीढ़ हैं। यदि एक बेटी शिक्षित होती है, तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। इसके बावजूद, समाज में भ्रूण हत्या, शिक्षा में भेदभाव और बाल विवाह जैसी कुरीतियाँ आज भी मौजूद हैं। हमें मिलकर इन समस्याओं को दूर करना होगा।
अभियान के अंतर्गत बेटियों की शिक्षा को अनिवार्य किया गया है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। समाज को भी अपनी सोच बदलनी होगी और बेटियों को समान अवसर देने होंगे। हमें यह समझना चाहिए कि बेटियाँ बोझ नहीं, बल्कि हमारे भविष्य की निर्माता हैं। आइए, हम सभी मिलकर इस अभियान को सफल बनाएं और एक उज्जवल भारत का निर्माण करें।
5. काव्यांश आधारित प्रश्नों के उत्तर:
(1) पद्यांश:
(क) स्नेह-सुरा का पान करने से कवि का आशय यह है कि वह प्रेम और आत्मिक आनंद में डूबे रहते हैं तथा सांसारिक विषयों की ओर ध्यान नहीं देते।
(ख) इस काव्यांश में कवि यह कहना चाहते हैं कि वे दुनिया की परवाह नहीं करते और केवल अपने मन की भावनाओं को व्यक्त करना पसंद करते हैं। वे सांसारिक दिखावे से दूर रहते हैं और आत्मिक प्रेम में लीन रहते हैं।
(ग) उपर्युक्त पद्यांश के रचनाकार हरिवंश राय बच्चन हैं।
(2) पद्यांश:
(क) सुप्त अंकुर को बादलों से यह अपेक्षा है कि वे वर्षा करें ताकि वे नवजीवन प्राप्त कर सकें और अपना अस्तित्व स्थापित कर सकें।
(ख) विप्लव के बादल का आवाह्न समाज का गरीब और शोषित वर्ग सर्वाधिक करता है क्योंकि वे अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध क्रांति लाना चाहते हैं।
(ग) उपर्युक्त काव्यांश के रचनाकार सुमित्रानंदन पंत हैं।
6. काव्यांश का भाव-सौंदर्य:
इस काव्यांश में भरतजी के मन में उत्पन्न विषाद और वेदना को व्यक्त किया गया है। वे राम के वियोग में अत्यंत दुःखी हैं और उनकी तुलना बिना पंख वाले पक्षी, बिना मणि के सर्प और बिना हाथी के राजा से करते हैं। उनका कहना है कि बिना राम के उनका जीवन निरर्थक हो गया है। वे अवध जाने में भी संकोच कर रहे हैं क्योंकि माता कैकेयी के कारण उन्होंने अपने प्रिय भाई राम को खो दिया। यह पद राम-भक्त भरत की करुणा, भक्ति और त्याग को दर्शाता है।
7. कविता आधारित प्रश्नों के उत्तर:
(क) \’दिन जल्दी-जल्दी ढलता है\’ कविता में कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि समय बड़ी तेजी से बीतता जा रहा है, और हमें अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए। जीवन क्षणभंगुर है, इसलिए समय का मूल्य समझना आवश्यक है।
\’जूझ\’ उपन्यास संघर्ष और साहस की कहानी है। इसका नायक विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए अपने आदर्शों को बनाए रखता है। कहानी में सामाजिक अन्याय, शोषण और संघर्ष को दर्शाया गया है। नायक अपने अधिकारों के लिए लड़ता है और समाज में बदलाव लाने का प्रयास करता है।
(ख) बिना मुरझाए महकने का अर्थ है—बिना किसी निराशा या हताशा के अपने अस्तित्व को बनाए रखना और सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीवन जीना।
(ग) विप्लव-रव का तात्पर्य क्रांति या उथल-पुथल की आवाज से है। छोटे ही शोभा पाते कहने का अर्थ यह है कि विनम्र और धैर्यवान व्यक्ति ही सच्ची शोभा प्राप्त करते हैं, जबकि अहंकारी व्यक्ति अपने क्रोध और आक्रोश से सम्मान खो देते हैं।
(क) गुरु छात्राय पुस्तकं ददाति – सम्प्रदान कारक (ii)
8. गद्यांश आधारित प्रश्नों के उत्तर:
(1) गद्यांश:
(क) \”हम आज देश के लिए करते क्या हैं?\” इस कथन का आशय यह है कि हम अपने अधिकारों की मांग तो बहुत करते हैं, लेकिन कर्तव्यों को निभाने के प्रति लापरवाह रहते हैं। हम केवल भ्रष्टाचार की आलोचना करते हैं, लेकिन स्वयं उसमें भागीदार बन जाते हैं।
(ख) काले मेघ समाज में फैले अवसरों और संभावनाओं के प्रतीक हैं, लेकिन जब समाज में भ्रष्टाचार और स्वार्थ हावी हो जाता है, तो ये अवसर बेकार चले जाते हैं।
(ग) यह गद्यांश \’नए सन्दर्भ में राष्ट्रभक्ति\’ पाठ से लिया गया है और इसके लेखक श्यामाचरण दुबे हैं।
(2) गद्यांश:
(क) लेखक के अनुसार आदर्श समाज का आधार स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व है।
(ख) दूध-पानी के मिश्रण का आशय यह है कि समाज में भाईचारा ऐसा होना चाहिए कि सभी लोग एक-दूसरे के साथ सहजता से मिल जाएं, बिना किसी भेदभाव के।
(ग) यह गद्यांश \’भारतीय समाज\’ पाठ से लिया गया है और इसके लेखक गोपीनाथ कविराज हैं।
9. प्रश्नों के उत्तर:
(क) \’बाजारूपन\’ से तात्पर्य बाजार के प्रभाव से समाज में आए बदलाव से है। बाजार की सार्थकता उन लोगों में है जो ईमानदारी, नैतिकता और गुणवत्ता के साथ व्यापार करते हैं, न कि केवल मुनाफे के लिए।
(ख) इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय इसलिए बोलती है क्योंकि गंगा भारतीय संस्कृति और परंपरा में पवित्रता, शक्ति और जीवनदायिनी स्रोत का प्रतीक है। भारतीय समाज में नदियाँ धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
(ग) लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) इसलिए माना है क्योंकि यह कठोर परिस्थितियों में भी दृढ़ रहता है और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने अस्तित्व को बनाए रखता है।
10. प्रश्नों के उत्तर:
(क) \’सिल्वर वैडिंग\’ कहानी का संदेश यह है कि जीवन में रिश्तों की सच्ची गहराई दिखावे से नहीं, बल्कि आपसी समझ और सहयोग से होती है।
(ख) \’जूझ\’ पाठ में कथानायक के व्यक्तित्व पर सर्वाधिक प्रभाव उनके गुरु का पड़ा, जिन्होंने उन्हें जीवन में संघर्ष करना और सत्य के लिए अडिग रहना सिखाया।
(ग) मुअनजोदड़ो के खंडहरों को देखकर लेखक को अपने गाँव की याद आती है क्योंकि वहाँ भी लोगों के जीवन जीने का ढंग सरल और कृषि आधारित था, जो प्राचीन सभ्यता से मेल खाता है।
(घ) सिल्वर वैडिंग का अर्थ शादी की 25वीं वर्षगांठ है। इस पाठ में श्रीमती वर्मा और उनके पति की सिल्वर वैडिंग की बात चल रही है।
11. प्रश्नों के उत्तर:
(1) \’सिन्धु घाटी सभ्यता मूलतः कृषि प्रधान सभ्यता थी\’
सिन्धु घाटी सभ्यता में प्रमुख रूप से कृषि ही जीवन का आधार थी। \’अतीत में दबे पाँव\’ शीर्षक लेख से पता चलता है कि इस सभ्यता के लोग गेहूं, जौ, कपास आदि की खेती करते थे। उन्होंने सिंचाई और जल निकासी की उन्नत तकनीकें विकसित की थीं। उनके पास विशाल अनाज भंडार थे, जो कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं।
(ख) अष्टाध्यायी – द्विगु समास (iii)
(2) \’जूझ\’ उपन्यास की कथावस्तु:
(च) निः फलम् का संधि रूप – निष्फलम् (i)
(घ) गोविन्दबल्लभपन्तः एकः स्वतन्त्रसेनानी आसीत्।
खण्ड – \’ब\’
12. संस्कृत गद्यांश के उत्तर:
(क) स्पर्धा मण्डूककुलेन आयोजिता।
(ख) सर्वैः मण्डूकैः यः समुच्च्वस्य स्तम्भस्य शिखरं सर्वादौ प्राप्नुयात् सः विजयी भवेत् इति निर्णीतम्।
(ग) मण्डूकाः स्तम्भस्य आरोहणम् आरब्धवन्तः।
(घ) प्रेक्षकाः मण्डूकाः करताडेन स्पर्धार्थिनः प्रोत्साहितवन्तः।GY
13. संस्कृत श्लोक के उत्तर:
(क) *\’पश्चात्\’ इत्यर्थे प्रयुक्तं पदं अत्र \’कृतमेव\’ अस्ति।
(ख) पण्डितस्य केवलं कृतमेव जानन्ति, न तु मन्त्रं वा मन्त्रितम्।
(ग) यस्य कृत्यं मन्त्रं वा मन्त्रितं परे न जानन्ति, सः पण्डितः उच्यते।
14. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (केवल चार) संस्कृत में पूर्ण वाक्यों में दें:
(क) कोऽपि सदैव कटुवचनं न वदति।
(ख) दीपप्रज्वालनस्य व्यवस्था शिक्षकः करिष्यन्ति।
(ग) मण्डूकस्य साफल्यस्य कारणं तस्य साहसं आसीत्।
15. निम्नलिखित शब्दों में से तीन शब्दों का संस्कृत में वाक्य प्रयोग:
- असत्यं – असत्यं कथयितुं न उचितम्।
- पठामि – अहं प्रतिदिनं संस्कृतं पठामि।
- वृक्षाणाम् – वृक्षाणाम् संरक्षणं अस्माकं कर्तव्यं अस्ति।
16. निर्देशानुसार उत्तर दें:
(ग) लिख धातु का लट् लकार, उत्तम पुरुष, बहुवचन – लिखामः (ii)
(घ) \’लता\’ शब्द का षष्ठी विभक्ति, एकवचन – लतायाः (ii)
(ड) बालकोऽपि का सन्धि विच्छेद – बालकः + अपि (i)
17. कोई एक कण्ठस्थ श्लोक लिखकर उसका हिन्दी में अनुवाद करें:
श्लोक:
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (भगवद्गीता 2.47)
हिन्दी अनुवाद:
तुझे केवल कर्म करने का अधिकार है, परंतु कर्म के फलों में तेरा कोई अधिकार नहीं। इसलिए तू कर्मों के फल का कारण मत बन और अकर्मण्यता में भी आसक्त मत हो।
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