जहां 1 या 2 अंकों का अपना एक अलग महत्व है उसके द्वारा आपकी मेमोरी की परख की जाती है ।परीक्षा में वहीं 5 अंक के प्रश्नों के द्वारा आपकी समझ का असली मूल्यांकन होता है और एक अच्छा स्कोर प्राप्त करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है
5 अंकों के प्रश्नों को लिखते समय आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि आपके उत्तर अधिक प्रभावशाली हों और अच्छा स्कोर कर सकें, जो निम्न प्रकार हैं।
- उत्तर की स्पष्टता और संरचना : इसको तीन मुख्य भागों में विभाजित करना जरूरी है (i) परिचय (ii) मुख्य भाग (iii) निष्कर्ष
- उपरोक्त तीनों भागों को अलग अलग पैराग्राफ में हैडिंग के साथ लिखें ताकि आपके उत्तत सुव्यवस्थित लगे।
- मुख्य बिंदुओं को विस्तार से संभव हो तो उदाहरण के प्रयोग से समझाएं।
- आंकड़ों, योजनाओं और नीतियों का संदर्भ सम्भव हो तो दें।
- चित्र, चार्ट या टेबल का प्रयोग आवश्यकता अनुसार जरूर करें।
- उत्तर अत्यधिक लम्बा या अनावश्यक बातें लिखने से बचें।
- केवल प्रासांगिग और महत्वपूर्ण बिंदुओं को ही शामिल करें।
- कठीन शब्दों से बचें, भाषा सरल और स्पष्ट हो।
- समय प्रबंधन करें : बहुत ज्यादा समय न लें जिससे अन्य प्रश्न छूट जाएं। ज्यादा से ज्यादा 7 से 10 मिनट में उत्तर पूरा लिख लें।
- अंत में पूरे उत्तर का निष्कर्ष जरूर लिख लें।
कक्षा 12 की अर्थशास्त्र एनसीईआरटी पुस्तक (2024-25) से 5 अंकों के महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 1: भारत में 1991 के आर्थिक सुधारों के प्रमुख घटक क्या थे, और इन सुधारों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: 1991 में, भारत ने आर्थिक संकट के चलते व्यापक आर्थिक सुधार लागू किए, जिन्हें ‘नई आर्थिक नीति’ कहा जाता है। इसके प्रमुख घटक थे:
- उदारीकरण (Liberalization): सरकारी नियंत्रण और प्रतिबंधों को कम करके व्यापार और उद्योग को स्वतंत्रता प्रदान करना।
- निजीकरण (Privatization): सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण या निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना।
- वैश्वीकरण (Globalization): विश्व अर्थव्यवस्था के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था का एकीकरण, जिससे विदेशी निवेश और व्यापार को प्रोत्साहन मिला।
इन सुधारों के प्रभाव:
- आर्थिक वृद्धि: उच्च आर्थिक विकास दर और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि।
- विदेशी निवेश: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि, जिससे तकनीकी उन्नति और रोजगार के अवसर बढ़े।
- प्रतिस्पर्धा: बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ी, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार और उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिले।
प्रश्न 2: समष्टि मांग (Aggregate Demand) और समष्टि आपूर्ति (Aggregate Supply) की अवधारणाओं को समझाइए और बताइए कि ये आर्थिक संतुलन को कैसे प्रभावित करती हैं।
उत्तर: समष्टि मांग (AD) अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं और सेवाओं की कुल मांग को दर्शाती है, जबकि समष्टि आपूर्ति (AS) अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं और सेवाओं की कुल आपूर्ति को प्रदर्शित करती है।
- समष्टि मांग के घटक:
- उपभोग व्यय (Consumption Expenditure): घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च।
- निवेश व्यय (Investment Expenditure): व्यवसायों द्वारा पूंजीगत वस्तुओं पर खर्च।
- सरकारी व्यय (Government Expenditure): सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च।
- शुद्ध निर्यात (Net Exports): निर्यात माइनस आयात।
- आर्थिक संतुलन पर प्रभाव: जब समष्टि मांग और समष्टि आपूर्ति बराबर होती हैं, तो अर्थव्यवस्था संतुलन में होती है। यदि AD > AS, तो मांग अधिक होने से मुद्रास्फीति हो सकती है। यदि AD < AS, तो आपूर्ति अधिक होने से मंदी या बेरोजगारी बढ़ सकती है।
प्रश्न 3: मुद्रा सृजन (Money Creation) की प्रक्रिया को समझाइए और इसमें केंद्रीय बैंक की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: मुद्रा सृजन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से वाणिज्यिक बैंक जमा स्वीकार करके और ऋण प्रदान करके मुद्रा की आपूर्ति में वृद्धि करते हैं।
- प्रक्रिया:
- प्राथमिक जमा (Primary Deposit): ग्राहक बैंक में धन जमा करता है।
- आरक्षित अनुपात (Reserve Ratio): बैंक इस जमा का एक हिस्सा केंद्रीय बैंक के निर्देशानुसार आरक्षित रखता है।
- ऋण वितरण (Credit Creation): शेष राशि को बैंक ऋण के रूप में प्रदान करता है, जो पुनः बैंकिंग प्रणाली में जमा होती है, और यह प्रक्रिया पुनरावृत्ति होती है।
- केंद्रीय बैंक की भूमिका: केंद्रीय बैंक (जैसे, भारतीय रिज़र्व बैंक) नकद आरक्षित अनुपात (CRR) और वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) निर्धारित करके मुद्रा सृजन को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 4: गरीबी उन्मूलन के लिए भारत सरकार द्वारा लागू की गई प्रमुख योजनाओं का वर्णन कीजिए और उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर: भारत सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएँ लागू की हैं, जैसे:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): सभी के लिए आवास सुनिश्चित करना।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA): सस्ती दरों पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
प्रभावशीलता का मूल्यांकन:
- सकारात्मक पक्ष: इन योजनाओं से गरीबी दर में कमी, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, और जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
- नकारात्मक पक्ष: कुछ योजनाओं में क्रियान्वयन की चुनौतियाँ, भ्रष्टाचार, और लक्षित लाभार्थियों तक पहुँच में कमी देखी गई है।
प्रश्न 5: विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में अंतर स्पष्ट कीजिए, और भारतीय अर्थव्यवस्था में इनके महत्व पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI):
यह निवेश का प्रकार है जिसमें विदेशी कंपनियाँ या व्यक्ति किसी देश में दीर्घकालिक आधार पर व्यवसाय स्थापित करते हैं या मौजूदा कंपनियों में प्रत्यक्ष भागीदारी लेते हैं। उदाहरण: किसी विदेशी कंपनी का भारत में कारखाना स्थापित करना। - विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI):
यह अल्पकालिक निवेश है, जिसमें विदेशी निवेशक शेयर बाजार में स्टॉक्स, बॉन्ड्स या अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं। यह प्रत्यक्ष स्वामित्व नहीं देता, बल्कि केवल वित्तीय लाभ प्राप्त करने का उद्देश्य होता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में FDI और FPI का महत्व:
- FDI:
- रोजगार सृजन – नई कंपनियाँ और उद्योग स्थापित होने से नौकरियाँ बढ़ती हैं।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण – विदेशी कंपनियाँ नई तकनीक और नवाचार लाती हैं।
- विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि – ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं को समर्थन मिलता है।
- राजस्व वृद्धि – सरकार को कर राजस्व बढ़ाने में मदद मिलती है।
- FPI:
- पूंजी बाजार में वृद्धि – भारतीय शेयर बाजार में तरलता बढ़ती है।
- अल्पकालिक पूंजी प्रवाह – निवेशकों को अधिक लाभ प्राप्त करने के अवसर मिलते हैं।
- मुद्रा विनिमय दर में उतार-चढ़ाव – विदेशी निवेश के आने और जाने से रुपया प्रभावित हो सकता है।
हालाँकि, FPI की तुलना में FDI अधिक स्थिर और दीर्घकालिक होता है, जबकि FPI बाजार में अस्थिरता ला सकता है।
प्रश्न 6: भारत में असमान वितरण की समस्या को समझाइए और इसे दूर करने के लिए उठाए गए सरकारी उपायों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
असमान वितरण की समस्या:
भारत में आय और संपत्ति का वितरण असमान है। कुछ लोग अत्यधिक अमीर हैं, जबकि बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रही है। यह असमानता शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, रोजगार और संपत्ति के असमान वितरण के कारण होती है।
सरकारी उपाय:
- प्रगतिशील कर प्रणाली – अमीरों पर अधिक कर लगाया जाता है, जिससे आर्थिक असमानता कम करने में मदद मिलती है।
- कल्याणकारी योजनाएँ – MGNREGA, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, और खाद्य सुरक्षा योजना जैसी नीतियाँ गरीबों की सहायता करती हैं।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार – निःशुल्क शिक्षा और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दिया जाता है।
- सहायक योजनाएँ – छोटे उद्यमियों के लिए मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया जैसी नीतियाँ लागू की गई हैं।
- न्यूनतम मजदूरी कानून – श्रमिकों को एक निश्चित न्यूनतम वेतन देने की अनिवार्यता की गई है।
प्रश्न 7: मुद्रास्फीति (Inflation) के प्रकारों को समझाइए और इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मुद्रास्फीति के प्रकार:
- मांग प्रेरित मुद्रास्फीति (Demand-Pull Inflation): जब माँग आपूर्ति से अधिक हो जाती है, तो कीमतें बढ़ती हैं।
- लागत प्रेरित मुद्रास्फीति (Cost-Push Inflation): जब उत्पादन लागत (कच्चा माल, मजदूरी) बढ़ती है, तो कीमतें भी बढ़ जाती हैं।
- संरचनात्मक मुद्रास्फीति (Structural Inflation): जब अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक कमियाँ होती हैं, जैसे आपूर्ति शृंखला में बाधाएँ।
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उपाय:
- मौद्रिक नीति: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) रेपो रेट बढ़ाकर मुद्रा प्रवाह को नियंत्रित करता है।
- राजकोषीय नीति: सरकार करों को बढ़ाकर और अनुत्पादक खर्चों को कम करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित करती है।
- आपूर्ति सुधार: कृषि और औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के लिए नीतियाँ लागू की जाती हैं।
- निर्यात-आयात नियंत्रण: आवश्यक वस्तुओं के आयात को बढ़ावा देकर और निर्यात को नियंत्रित कर मुद्रास्फीति पर काबू पाया जाता है।
प्रश्न 8: भारत में बेरोजगारी की समस्या के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए और इसे कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
बेरोजगारी के प्रकार:
- प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised Unemployment): जब अधिक लोग कार्य में लगे होते हैं, लेकिन उनकी उत्पादकता कम होती है।
- मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment): कृषि क्षेत्र में यह समस्या देखी जाती है, जहाँ साल के कुछ समय ही काम उपलब्ध होता है।
- संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment): जब श्रमिकों की योग्यता और उपलब्ध नौकरियों में असंतुलन होता है।
- प्रौद्योगिकी-जनित बेरोजगारी (Technological Unemployment): मशीनों और ऑटोमेशन के कारण नौकरियाँ कम हो जाती हैं।
- शहरी बेरोजगारी (Urban Unemployment): शहरों में शिक्षित युवाओं को नौकरी नहीं मिलती।
सरकारी प्रयास:
- MGNREGA – ग्रामीण बेरोजगारों को 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करता है।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) – युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- मुद्रा योजना – स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए ऋण उपलब्ध कराती है।
- स्टार्टअप इंडिया – नए व्यवसायों को प्रोत्साहित करता है।
- मेक इन इंडिया – विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने की पहल है।
प्रश्न 9: सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और मानव विकास सूचकांक (HDI) में क्या अंतर है? भारत में मानव विकास को बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
GDP और HDI में अंतर:
भारत में मानव विकास के प्रयास:
- शिक्षा का विस्तार – नई शिक्षा नीति (NEP 2020) लागू की गई है।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार – आयुष्मान भारत योजना जैसी स्वास्थ्य सुविधाएँ बढ़ाई गई हैं।
- रोजगार सृजन – युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
- महिला सशक्तिकरण – बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएँ लागू की गई हैं।
प्रश्न 10: भारत में सतत विकास (Sustainable Development) के महत्व को स्पष्ट कीजिए और इसके लिए उठाए गए प्रमुख कदमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सतत विकास का महत्व:
- पर्यावरण संरक्षण – प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग।
- आर्थिक स्थिरता – दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बनाए रखना।
- सामाजिक समावेशन – सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति – ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना।
भारत में सतत विकास के लिए उठाए गए कदम:
- राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (National Solar Mission): अक्षय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना।
- स्वच्छ भारत अभियान: स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना।
- वन संरक्षण अधिनियम: वन संसाधनों के संरक्षण के लिए कानून लागू करना।
- ईंधन सब्सिडी में कटौती: पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम करना।
- जल संरक्षण योजनाएँ: जल संचयन को बढ़ावा देना (अटल भूजल योजना)।
प्रश्न 11: प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान समझाइए।
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था को तीन मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है:
- प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector):
- कृषि, मत्स्य पालन, पशुपालन और खनन से संबंधित।
- भारतीय श्रमिकों का एक बड़ा भाग इस क्षेत्र में कार्यरत है।
- सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना जैसी योजनाएँ चलाती है।
- द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector):
- निर्माण, औद्योगिक उत्पादन और बिजली उत्पादन से संबंधित।
- औद्योगीकरण और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों ने इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया है।
- इस क्षेत्र का GDP में योगदान बढ़ा है, लेकिन रोजगार की दर अपेक्षाकृत कम है।
- तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector):
- सेवाएँ जैसे बैंकिंग, परिवहन, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आईटी शामिल हैं।
- भारत की GDP का सबसे बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र से आता है।
- सरकार डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं से इसे बढ़ावा दे रही है।
प्रश्न 12: राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) और व्यापार घाटा (Trade Deficit) में अंतर स्पष्ट कीजिए और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनके प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सरकारी उपाय:
- राजकोषीय घाटा कम करने के लिए: कर प्रणाली सुधार, अनावश्यक खर्चों में कटौती, निजीकरण।
- व्यापार घाटा कम करने के लिए: घरेलू उत्पादन बढ़ाना, ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देना, निर्यात प्रोत्साहन योजनाएँ।
प्रश्न 13: प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) में अंतर बताइए और भारतीय अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभावों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
1. परिचय:
कर (Tax) सरकार की आय का एक प्रमुख स्रोत है, जिससे वह विकास कार्यों को पूरा करती है। करों को दो भागों में बाँटा जाता है: प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)। इन दोनों करों का प्रभाव अर्थव्यवस्था और आम नागरिकों पर अलग-अलग पड़ता है।
2. प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में अंतर:
3. भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
(A) प्रत्यक्ष कर के प्रभाव:
1. आर्थिक असमानता को कम करता है – अमीरों से अधिक कर लिया जाता है और गरीबों पर कर का बोझ कम रहता है।
2. सरकारी राजस्व बढ़ाता है – सरकार को स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में निवेश करने में मदद मिलती है।
3. कर चोरी की संभावना रहती है – कई लोग आय छुपाकर कर नहीं देते, जिससे सरकार को नुकसान होता है।
(B) अप्रत्यक्ष कर के प्रभाव:
1. सरल कर संग्रह प्रणाली – जीएसटी लागू होने से कर प्रणाली को सरल बनाया गया है।
2. हर व्यक्ति पर कर का प्रभाव पड़ता है – क्योंकि गरीब और अमीर दोनों को वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदनी पड़ती हैं।
3. उपभोक्ता कीमतों पर प्रभाव – अधिक कर से वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे महँगाई बढ़ने का खतरा रहता है।
4. निष्कर्ष:
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर दोनों ही सरकार के लिए महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत हैं। सरकार को कर चोरी को रोकने, कर प्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाने और आम लोगों पर कर का बोझ कम करने के लिए निरंतर सुधार करने की आवश्यकता है।
प्रश्न 14: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति के प्रमुख उपकरणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1. परिचय:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) देश की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) को नियंत्रित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति (Inflation) को नियंत्रित करना, आर्थिक स्थिरता बनाए रखना और विकास दर को बढ़ावा देना है।
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2. मौद्रिक नीति के प्रमुख उपकरण:
RBI मौद्रिक नीति को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपकरणों का उपयोग करता है:
(A) बैंक दर (Bank Rate):
यह वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को दीर्घकालिक ऋण प्रदान करता है।
यदि बैंक दर बढ़ती है, तो बैंक महँगे दर पर ऋण लेते हैं और जनता को भी महँगा ऋण देना पड़ता है, जिससे मुद्रास्फीति घटती है।
(B) रेपो दर (Repo Rate):
वह ब्याज दर जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है।
यदि रेपो दर बढ़ती है, तो बैंक महँगे ऋण लेते हैं और जनता को भी ऊँची दरों पर ऋण देना पड़ता है, जिससे बाजार में मुद्रा आपूर्ति कम होती है।
(C) रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate):
यह वह दर होती है जिस पर बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी RBI के पास जमा करते हैं।
यदि यह दर बढ़ती है, तो बैंक अपना पैसा RBI के पास जमा करना पसंद करते हैं, जिससे बाजार में धन की कमी होती है।
(D) नकद आरक्षित अनुपात (CRR – Cash Reserve Ratio):
यह वह न्यूनतम राशि होती है जो बैंकों को अपनी कुल जमा का एक निश्चित प्रतिशत RBI के पास नकद के रूप में रखना होता है।
यदि CRR बढ़ता है, तो बाजार में मुद्रा प्रवाह कम होता है, जिससे महँगाई कम होती है।
(E) वैधानिक तरलता अनुपात (SLR – Statutory Liquidity Ratio):
यह वह न्यूनतम राशि होती है जो बैंक सरकारी बॉन्ड और अन्य सुरक्षित साधनों में निवेश करते हैं।
SLR बढ़ने से बैंकों के पास उधार देने के लिए कम धन बचता है, जिससे बाजार में धन की आपूर्ति घटती है।
3. भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
1. मुद्रास्फीति नियंत्रण – मौद्रिक नीति के उपकरणों का उपयोग कर महँगाई को नियंत्रित किया जाता है।
2. ब्याज दरों पर प्रभाव – रेपो दर और बैंक दर से ब्याज दरें तय होती हैं, जो निवेश और बचत को प्रभावित करती हैं।
3. विकास दर पर प्रभाव – यदि ब्याज दरें कम होंगी, तो लोग अधिक ऋण लेंगे, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
4. निष्कर्ष:
RBI मौद्रिक नीति के माध्यम से अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने, महँगाई को नियंत्रित करने और विकास को गति देने का कार्य करता है। हाल के वर्षों में, RBI ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने, महँगाई को नियंत्रित करने और आर्थिक सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
प्रश्न 14: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति के प्रमुख उपकरणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने के लिए मौद्रिक नीति का उपयोग करता है। इसके मुख्य उपकरण हैं:
- ब्याज दरों से संबंधित उपकरण:
- रेपो दर (Repo Rate): जिस दर पर RBI बैंकों को ऋण देता है।
- रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate): जिस दर पर RBI बैंकों से धन उधार लेता है।
- बैंक दर (Bank Rate): दीर्घकालिक ऋण के लिए ब्याज दर।
- आरक्षित अनुपात से संबंधित उपकरण:
- नकद आरक्षित अनुपात (CRR): बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक हिस्सा RBI के पास रखना पड़ता है।
- वैधानिक तरलता अनुपात (SLR): बैंक को अपनी जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत सरकारी बॉन्ड आदि में रखना होता है।
- अन्य उपकरण:
- मौद्रिक नीति समिति (MPC): मौद्रिक नीति से जुड़े निर्णय लेने वाली समिति।
- ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (OMO): RBI सरकारी बॉन्ड खरीदकर या बेचकर मुद्रा प्रवाह को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 15: वैश्वीकरण (Globalization) के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सकारात्मक प्रभाव:
- आर्थिक विकास: विदेशी निवेश और व्यापार से अर्थव्यवस्था का विस्तार।
- तकनीकी उन्नति: विदेशी कंपनियों से नई तकनीक का आगमन।
- रोजगार के अवसर: बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) के आने से नौकरियाँ बढ़ीं।
- उपभोक्ता विकल्प: अधिक कंपनियों के कारण बेहतर गुणवत्ता और सस्ते उत्पाद उपलब्ध।
नकारात्मक प्रभाव:
- स्थानीय उद्योगों पर प्रभाव: भारतीय लघु और कुटीर उद्योगों को नुकसान।
- संस्कृति पर प्रभाव: विदेशी संस्कृति का प्रभाव बढ़ा, पारंपरिक जीवनशैली में बदलाव आया।
- आर्थिक असमानता: अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ी।
- पर्यावरणीय प्रभाव: औद्योगीकरण बढ़ने से प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हुआ।
सरकारी उपाय:
- ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बढ़ावा दिया गया।
- स्थानीय उद्योगों को संरक्षण देने के लिए टैरिफ और सब्सिडी लागू की गईं।
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