
10 जून 2025 |
✍️ Chandan Bhatt | worldofailearning.com
उत्तराखंड सरकार ने राज्य की स्थानीय भाषाओं, लोक साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाषा संस्थान की बैठक में कई महत्त्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जिनसे न केवल स्थानीय बोलियों का संरक्षण होगा, बल्कि नई पीढ़ी में इन भाषाओं के प्रति लगाव भी विकसित होगा।
🎤 स्कूलों में अब स्थानीय बोली में भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि सप्ताह में एक दिन सभी स्कूलों में स्थानीय बोली-भाषा में भाषण और निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इससे बच्चे अपनी बोली को जानेंगे, बोलेंगे और उसका गौरव अनुभव करेंगे।
📚 साहित्य और लोकसंस्कृति का डिजिटल भविष्य – ई-लाइब्रेरी की स्थापना
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की लोककथाओं, लोकगीतों और साहित्य को डिजिटल स्वरूप में संरक्षित करने का निर्देश दिया। इसके लिए एक ई-लाइब्रेरी बनाई जाएगी, जिसमें साहित्य, वीडियो, ऑडियो और डिजिटल संकलन होंगे।
📕 बुके नहीं, अब “बुक” दें उपहार में!
सरकार ने सभी से आह्वान किया है कि उपहार स्वरूप पुष्पगुच्छ (बुके) की जगह किताबें (बुक) भेंट करने की परंपरा को बढ़ावा दें। यह एक सांस्कृतिक और शैक्षणिक बदलाव की ओर एक सशक्त पहल है।
🖊️ “युवा कलमकार प्रतियोगिता” – युवाओं को मिलेगा मंच
18-24 और 25-35 वर्ष के युवाओं के लिए राजभाषा हिंदी में लेखन प्रतियोगिता का आयोजन होगा, जिससे युवा प्रतिभाओं को सामने आने का अवसर मिलेगा।
🚐 सचल पुस्तकालय और बच्चों के लिए वीडियो
राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में साहित्य पहुंचाने के लिए चलती-फिरती पुस्तकालयें चलाई जाएंगी। साथ ही, बच्चों के लिए छोटी-छोटी वीडियो कहानियां भी तैयार की जाएंगी, ताकि वे स्थानीय भाषा और संस्कृति से जुड़ सकें।
🎶 ‘बाकणा’ का अभिलेखीकरण – जौनसार बावर की अनमोल धरोहर
उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र की पौराणिक पंडवाणी गायन शैली ‘बाकणा’ का अब डिजिटल अभिलेखीकरण होगा। यह गायन शैली लोकसंस्कृति की अमूल्य धरोहर है।
🏡 दो साहित्य ग्रामों की स्थापना
राज्य में प्राकृतिक वातावरण के बीच साहित्य सृजन के लिए दो साहित्य ग्राम स्थापित किए जाएंगे, जहाँ लेखकों और साहित्यप्रेमियों के लिए गोष्ठियाँ और परिचर्चाएँ आयोजित होंगी।
🎭 उत्तराखंड साहित्य महोत्सव – देशभर के साहित्यकार होंगे शामिल
प्रदेश में एक भव्य साहित्य महोत्सव आयोजित किया जाएगा, जिसमें देशभर से साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा। यह महोत्सव राज्य की साहित्यिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने का कार्य करेगा।
🧾 निष्कर्ष: एक नई शुरुआत – भाषा, संस्कृति और पहचान की ओर
उत्तराखंड सरकार के यह निर्णय न केवल भाषा और साहित्य के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होंगे, बल्कि विद्यार्थियों, युवाओं और आम जनता में अपनी जड़ों के प्रति गर्व और पहचान की भावना को भी प्रबल करेंगे।
📌 आपकी राय क्या है?
क्या आपके स्कूल में भी इस तरह की गतिविधियाँ शुरू होनी चाहिए? कमेंट में जरूर बताएं और इस जानकारी को शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने उत्तराखंडी होने पर गर्व कर सकें।